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पन्नू का सबसे करीबी सहयोगी गिरफ्तार: कनाडाई पुलिस ने खालिस्तानी नेता इंदरजीत सिंह गोसल को हथियार मामले में पकड़ा

  • लेखक की तस्वीर: Sikhs4India
    Sikhs4India
  • 28 अक्टू॰
  • 2 मिनट पठन
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ओटावा, कनाडा: खालिस्तान आंदोलन को एक बड़ा झटका लगा है, जब कनाडाई पुलिस ने “सिख्स फॉर जस्टिस” (SFJ) के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू के करीबी सहयोगी इंदरजीत सिंह गोसल को गिरफ्तार कर लिया। गोसल, जो विवादित “खालिस्तान रेफरेंडम” अभियान के प्रमुख समन्वयकों में से एक था, को ओटावा में हथियार रखने के आरोप में हिरासत में लिया गया है। यह SFJ नेटवर्क के खिलाफ हाल के वर्षों में सबसे प्रमुख कार्रवाइयों में से एक मानी जा रही है।


SFJ की अलगाववादी मशीनरी का प्रमुख चेहरा

गोसल को लंबे समय से पन्नू के सबसे करीबी सहयोगी के रूप में देखा जाता रहा है। वह कनाडा के कई शहरों में प्रवासी सिख समुदाय को संगठित करने और कथित “रेफरेंडम एजेंडे” को आक्रामक रूप से आगे बढ़ाने में सक्रिय था। उसका नाम कई बार हिंसक प्रदर्शनों, मंदिरों की तोड़फोड़ और भारत के राजनयिक मिशनों व भारतीय समुदाय के खिलाफ धमकी अभियानों में सामने आया है। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने लगातार गोसल को SFJ की भारत-विरोधी प्रचार मशीन का “मुख्य संचालक” बताया है।


SFJ का डैमेज कंट्रोल प्रयास

अपेक्षित रूप से, SFJ ने गोसल की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए इसे “राजनीतिक रूप से प्रेरित” और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है। हालांकि कनाडाई कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने स्पष्ट किया है कि यह मामला केवल घरेलू सुरक्षा कानूनों के तहत हथियार रखने से संबंधित है, जिससे SFJ का यह दावा कमजोर पड़ गया कि यह किसी राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम है।


हिंसा और धमकी का पैटर्न

कनाडाई और भारतीय मीडिया की जांच रिपोर्टों में पहले भी गोसल को अशांति फैलाने वाली रैलियों, मंदिरों पर भारत-विरोधी ग्राफ़िटी और वाणिज्य दूतावासों के बाहर आक्रामक प्रदर्शनों के आयोजन से जोड़ा गया है। पन्नू से उसकी निकटता, जिसे भारत ने UAPA के तहत आतंकवादी घोषित किया है, यह दर्शाती है कि SFJ की “रेफरेंडम मुहिम” के पीछे हिंसा और डर का वास्तविक चेहरा छिपा हुआ है।


कनाडा पर बढ़ता दबाव

यह गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब ओटावा पर यह आरोप लग रहा है कि उसने कनाडा की धरती पर खुलेआम सक्रिय खालिस्तानी चरमपंथियों के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाए। नई दिल्ली ने कई बार कनाडा में चल रहे नफरत अभियानों, हिंसक धमकियों और अलगाववादी प्रचार पर चिंता जताई है और कानून व्यवस्था को सख्ती से लागू करने की मांग की है। गोसल की गिरफ्तारी यह संकेत दे सकती है कि अब कनाडाई अधिकारी उन चरमपंथी नेटवर्कों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर हिंसा को बढ़ावा देते हैं।


SFJ के लिए इसका क्या अर्थ है

गोसल की गिरफ्तारी ने SFJ की साख को गहरा झटका दिया है। विश्लेषकों का कहना है कि इस समूह की “शांतिपूर्ण रेफरेंडम आंदोलन” की बनाई हुई छवि अब और अधिक ध्वस्त हो गई है, क्योंकि इसकी वरिष्ठ नेतृत्व टीम विदेशों में आपराधिक मामलों का सामना कर रही है। पन्नू के लिए, जो पहले ही भारत के खिलाफ अपने भड़काऊ बयानों के कारण अंतरराष्ट्रीय निगरानी में है, इस गिरफ्तारी से उसकी संगठनात्मक ताकत और प्रचार की गति दोनों को गंभीर आघात पहुंचा है।


निष्कर्ष

इंदरजीत सिंह गोसल की गिरफ्तारी केवल एक कानूनी कार्रवाई नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर खालिस्तानी चरमपंथी नेटवर्क के खिलाफ चल रहे अभियान में एक निर्णायक पड़ाव है। यह घटना “आत्मनिर्णय” के नारे के पीछे छिपी हिंसा, धमकी और प्रचार की असली तस्वीर को उजागर करती है।

 
 
 

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सरबत दा भला

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